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अंडमान निकोबार एनजीओ

Andaman Nicobar

अंडमान निकोबार – गैर सरकारी संगठन (स्वयंसेवी संस्थान संगठन)
अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर के बीच स्थित प्राकृतिक विस्तृत द्वीपों से मिलकर बना द्वीपसमूह है, जिनमें प्राकृतिक सौन्दर्य और जैविक विविधतावाले कई उष्णकटिबंधीय द्वीप शामिल हैं. द्वीपों का अधिकांश क्षेत्र हरियाली से भरा हुआ और जंगलों और समुद्र के पानी से आच्छादित है.

 

अंतर-सांकृतिक सम्बन्ध इस द्वीप समूह में देखे जा सकते हैं क्योंकि वहां के निवासियों को पारंपरिक आदिवासी समुदायों और वहां बाहर से आकर बसने वाले प्रवासी लोगों के रूप में पहचाना जा सकता है. अंडमान के पारंपरिक आदिवासी समुदाय जिनमें दक्षिण और मध्य अंडमान में जारवा शामिल हैं, इनसे निकोबार के शोमेन और अंडमान के स्वदेशी ओगे अपनी अलग पहचान रखते है और उपलब्ध संसाधनों के अनुसार अपनी एकांत जीवन शैली जी रहे हैं.
सेंटेनेल

सेंटेनेल द्वीप में आदिम मूल जनजातीय समुदाय है जो उत्तर सेंटेनेल द्वीप में एकमात्र स्वदेशी समूह के रूप में ऐसा समुदाय है जो बाहरी दुनिया के साथ बुना किसी औपचारिक संपर्क के रहता है. उनका एकांत (निजी होने और अन्य लोगों से दूर रहने की स्थिति) और जाहिरा तौर पर अलगाव रूप में स्थापित जीवन, यहाँ के लोग और यह क्षेत्र दूसरी दुनिया के बाकी हिस्सों के लोगों के लिए उत्सुकता और चिंता का विषय है रहा है. सेंटेनेल द्वीप और स्वदेशी जनजातीय मूल निवासियों को वर्तमान में भारत सरकार की सख्त संपर्क नीति के तहत अन्य दुनिया के लोगों से अलग रहने की विशेष सुविधा प्राप्त है. इस द्वीप के निवासी स्पष्ट रूप से बेहद स्वस्थ बताए जाते हैं, लेकिन वे शांतिपूर्व जीने की चाहत, एकान्त जीवन जीने की चाहत, अशांति से दूर रहने, बाहरी अवरोध नहीं होने देने, केवल अपनी रोग प्रतिरोधात्मक प्रतिरक्षा कायम रखने और अलग अस्तित्व के मुद्दों के कारण दुनिया के बाहरी लोगों के हस्तक्षेप से मुक्ति के साथ रह रहे हैं.
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह क्षेत्र के विकास में गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में मानवीय, आर्थिक और सामाजिक विकास, पर्यावरण संरक्षण और स्थाई विकास में योगदान प्रमुख चुनौतियां और मुद्दे हैं. स्वयंसेवी गैर-सरकारी संगठन जन कल्याण के लिए इस क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक, शैक्षिक, स्वास्थ्य स्थिति मजबूत करने और सांस्कृतिक मुद्दों को कायम रखने के लिए सकारात्मक परिवर्तनकारी की महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह रहे हैं.
अंडमान निकोबार द्वीप समूह के मूल निवासी आदिवासियों और गरीब लोगों की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक स्थिति विकास और संरक्षण के साथ-साथ वर्तमान पर्यावरणीय रखरखाव हेतु संरक्षण के लिए प्राथमिकता पर आधारित है. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के एनजीओ विकास से वंचित आदिवासी और व उन अन्य पिछड़े समुदायों को गरीबी से मुक्त करने की दिशा में सहयोगी के रूप में काम कर रहे हैं जो वहां की सामाजिक-आर्थिक विकास से वंचित परिस्थितियों में रह रहे हैं. एनजीओ विकास से वंचित मूल द्वीपवासियों और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कमजोर वर्ग के सामाजिक-आर्थिक, स्वास्थ्य, शैक्षिक स्थिति और सांस्कृतिक प्रमुखता को सुधारने और विकसित करने के उद्देश्य और उद्देश्यों के साथ काम कर रहे हैं.
निकोबार और अंडमान द्वीप समूह में विकास और कल्याण आवश्यकताएँ

एनजीओ निकोबार और अंडमान के द्वीपों में विविध और नियमित सामाजिक-आर्थिक स्तर को बेहतर बनाने और विकास के मुद्दों को हल करने के लिए द्वीपों के विकास से जुड़े समकालीन महत्व के मुद्दों के समाधान करने के उद्देश्य से काम कर रहे हैं. एनजीओ अपने स्तर पर हस्तक्षेप, सहयोग के जरिए और मिलने वाली सुविधाओं व संसाधनों के साथ स्थानीय समुदायों के कल्याण के लिए कुछ दृष्टिकोण और लक्ष्यों को लेकर काम कर रहे हैं जो उनके समर्थकों, अनुदान दाता एजेंसियों और सरकार के मंत्रालयों की मदद से मिलते आ रहे है. वर्तमान में चल रही विकास प्रक्रिया की तुलना में समुदायों और क्षेत्र की स्थिति में सुधार के लिए विकास की रणनीतियों पर आधारित आवश्यकता बहुत अधिक अपेक्षित है. समुदायों और क्षेत्र के विकास और कल्याण का प्रमुख कार्य सरकार की परिणामोन्मुखी प्रक्रिया पर आधारित है जो कि क्षेत्र की वर्तमान आवश्यकताओं को तदनुसार पूरा करने का दायित्व है. इसके साथ, सामाजिक विकास संगठनों की पहल और जुड़ाव का परिणाम परिवर्तन करने की प्रक्रिया और विकास के रूप में भी हुआ है जो द्वीपसमूह के निवासियों और द्वीप क्षेत्र के विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए और अधिक आवश्यक महसूस किया जा रहा है.

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